“हाल ही में हैदराबाद के रामोजी फिल्मसिटी में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से संचालित कार बुज्जी का अनावरण हुआ। नेटफ्लिक्स की नई मूवी ‘एटलस’ भी मानव और एआई के संबंधों की कहानी पर आधारित है। ‘टर्मिनेटर’ के युग से ही हॉलीवुड में एआई और मानव रिश्तों की कहानियां लोकप्रिय रही हैं। लेकिन, 40 वर्षों से चली आ रही यह धारा फिल्म एटलस तक पहुंचते-पहुंचते अपना आकर्षण खोती दिखती है, या फिर शायद हॉलीवुड में इस नई तकनीक पर कुछ नया सोचने की कमी है। एआई आशीर्वाद है या समस्या? इस पर बहस लंबे समय से चल रही है। ‘एटलस’ इस बहस को इस दृष्टिकोण से उठाती है कि क्या एआई और मानव मिलकर कुछ अच्छा कर सकते हैं या एआई द्वारा निर्मित मशीनें मानवता का अंत कर देंगी?”
एटलस की कहानी, एटलस की जुबानी: फिल्म एटलस
फिल्म ‘एटलस’ में जेनिफर लोपेज के प्रमुख किरदार निभाने को लेकर दर्शकों में उत्साह है। जेनिफर ने गायकी के साथ-साथ अभिनय में भी कई बार हाथ आजमाया है। उनके फैंस उनके अभिनय की बजाय उनकी आकर्षक काया और सुंदरता के प्रशंसक अधिक हैं। जेनिफर की संवाद बोलने की शैली विशिष्ट है, जैसे हमारे देश के विजय राज की। चाहे किरदार कोई भी हो, दोनों एक ही लहजे में संवाद बोलते हैं। ‘एटलस’ की कहानी में जेनिफर का किरदार एटलस शेफर्ड अधिकांश समय पर्दे पर दिखाई देता है। उनके संवाद जितने एआई संचालित मशीनों के साथ होते हैं, उतने इंसानी पात्रों के साथ नहीं। और यहीं पर फिल्म की पकड़ ढीली पड़ने लगती है।
अपराध बोध की बेअसर अंतर्धारा: फिल्म एटलस
फिल्म ‘एटलस’ की कहानी दो अलग-अलग स्तरों पर चलती है। एक तरफ यह धारा है, जिसमें एक दूसरे ग्रह पर स्थित एआई निर्मित हारलन के पृथ्वी को नष्ट करने की योजनाओं को रोकने की कहानी है। दूसरी तरफ एटलस का अपने अतीत से संघर्ष की अंतर्धारा है। हारलन को एटलस की मां ने ही बनाया था, लेकिन एक दिन वह उसकी मां को ही मारकर विद्रोही हो गया। कहानी अपना अस्तित्व खोजने के लिए बार-बार फ्लैशबैक में जाती है, और हर बार दर्शकों की रुचि को थोड़ा और घटा देती है। हारलन नए-नए सेनापति बना रहा है और धरती पर तबाही मचा रहा है। उसे रोकने का एक ही तरीका है, उसका पता लगाकर उसे उसके ठिकाने समेत नष्ट कर देना। दुनिया इस लक्ष्य के लिए एकजुट हो चुकी है। एक अंतरराष्ट्रीय संगठन इसके लिए एक मिशन अंतरिक्ष में भेजता है, जिसमें एटलस भी जिद करके शामिल होती है।
मनोरंजन के नाम पर देखे-सुने से अनुभव: फिल्म एटलस
फिल्म ‘एटलस’ की कहानी में कुछ भी नया नहीं है। यह फिल्म एक निर्धारित लक्ष्य की ओर शुरू से दौड़ती नजर आती है। इसका भावनात्मक पहलू बस इतना है कि एटलस के मन में अपनी मां को लेकर अपराध बोध है। हारलन भी एटलस की मां को मदर कहकर बुलाता था। लेकिन, नियति ने दोनों को आमने-सामने ला दिया है। एटलस शेफर्ड वास्तव में एक डेटा विश्लेषक है। वह मिशन में जोर देकर शामिल होती है। उसे जैक रयान की तरह आक्रामक रूप अपनाना पड़ता है। कहानी का विलेन टर्मिनेटर जैसा है। और, इस पूरी गड़बड़झाले को देखने के लिए आपको लगभग दो घंटे खर्च करने होंगे।
जेनिफर लोपेज की बस औसत फिल्म
फिल्म ‘एटलस’ की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी पुरानी सी लगने वाली कहानी है। जेनिफर लोपेज का फिल्म के आधे हिस्से में चिल्लाना भी फिल्म को खास फायदा नहीं पहुंचा पाता है। उनकी एक विशेष छवि रही है, जिसे तोड़ने की वह इस फिल्म में उसी तरह कोशिश कर रही हैं जैसे हमारे यहाँ कंगना रनौत करती रही हैं। दोनों की अभिनय क्षमता सीमित है और दोनों खुद को एक योग्य कलाकार के रूप में प्रस्तुत करने की पूरी कोशिश करती हैं। परिणाम भी दोनों का अक्सर एक जैसा ही होता है। मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स में सुपरहीरो बन चुके अभिनेता सिमु लियू की वजह से भी फिल्म को देखने की उत्सुकता होती है, खासकर यह जानकर कि वह कहानी के खलनायक हैं, लेकिन उनका प्रभाव बार-बार टूटता है। रौद्र, भयानक और वीभत्स रसों के मिश्रण में डूबा हारलन का उनका किरदार असर छोड़ने में असफल रहता है।
Movie Review: एटलस
कलाकार: जेनिफर लोपेज , सिमु लियू , स्टर्लिंग के ब्राउन , ग्रेगरी जेम्स कोहन , अब्राहम पोपूला और ना परिला
लेखक: लियो सारडारियन और एरन एली कोलिटे
निर्देशक: ब्रैड पेटॉन
निर्माता: ब्रैड पेटॉन , जेफ फियरसन , जोबी हैरॉल्ड टोरी टनेल और जेनिफर लोपेज आदि
ओटीटी: नेटफ्लिक्स
रेटिंग: 2/5
ट्रेलर: एटलस