Ishq Vishk Rebound Review: Gen Z को पसंद आएगी Rohit Saraf की Cuteness

Ishq Vishk Rebound Review: वर्ष 2003 में प्रदर्शित फिल्म ‘Ishq Vishk’ एक उत्कृष्ट कॉलेज रोमांस की कहानी थी। इस फिल्म में शाहिद कपूर, अमृता राव और शहनाज़ ट्रेज़रीवाला ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं, और अब इसी फिल्म की फ्रेंचाइजी 2024 में ‘Ishq Vishk Rebound’ के रूप में आई है।

Ishq Vishk Rebound Review
Ishq Vishk Rebound Review

कहानी

कहानी तीन मित्रों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनके बीच एक चौथा पात्र आता है, लेकिन उसे विशेष स्क्रीनटाइम और भूमिका नहीं मिली है, और यह किरदार नायला ग्रेवाल का है। इन तीन प्रमुख मित्रों में से दो पुरुष और एक महिला हैं। इसी के साथ दो मित्र एक-दूसरे के प्रेम में होते हैं यानी वे एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं और तीसरा मित्र दोनों के बीच अवरोधक की तरह रहता है, लेकिन कब उन दो प्रेमी पक्षियों के बीच दरार आती है और कब इस मित्रता के दायरे में दूसरा प्रेम कोण बन जाता है, कुछ भी समझ पाना कठिन है।

फिल्म कैसी है

‘Ishq Vishk Rebound’ पूर्णतः जेनज़ पीढ़ी के लिए बनी कहानी है। फिल्म में अत्यधिक विचित्र रोमांस दिखाया गया है और ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म के निर्देशक आजकल के प्रेम में पड़े भ्रमित युगलों और मित्रों की कहानी प्रस्तुत करना चाहते थे और इस कहानी ने दर्शकों को भी भ्रमित कर दिया। फिल्म में न तो मित्रता सही तरीके से दिखाई गई है, न ही रोमांस। कहानी में कोई सुसंगत प्लॉट नजर नहीं आया। फिल्म में केवल देहरादून की सुंदरता अधिक दिखती है जहां प्रमुख पात्रों का घर और कॉलेज दिखाया गया है।

कुछ फिल्में देखने की प्रबल इच्छा होती है, कुछ फिल्में देखनी आवश्यक होती हैं क्योंकि वे आपको समय की बदलती गति दिखा सकती हैं, और फिर कुछ फिल्में इसलिए भी देखनी जरूरी होती हैं, क्योंकि उनका डीएनए ऐसी फिल्मों का होता है जो अपने समय की हिट फिल्में रही हैं। फ्रेंचाइजी जैसा कुछ विकसित होता नहीं दिखता लेकिन केन घोष निर्देशित फिल्म ‘इश्क विश्क’ के गुणसूत्रों पर बनी फिल्म ‘इश्क विश्क रिबाउंड’ देखने के दो कारण थे, एक इसके हीरो रोहित सराफ जिन्होंने ‘व्हाट विल पीपल से’ और ‘स्काई इज पिंक’ में अपनी अभिनय की क्षमताएं दिखा दी हैं। और, दूसरी ऋतिक रोशन की चचेरी बहन पश्मीना रोशन। याद है न करिश्मा कपूर, करीना कपूर को कपूर खानदान ने बड़े परदे पर लॉन्च नहीं किया था। पश्मीना की पहली फिल्म भी टिप्स म्यूजिक कंपनी ने बनाई है। सबक नंबर एक, बेटियां अब भी हिंदी सिनेमा में कारोबारी दांव लगाने के लिए फिल्मी परिवारों की प्राथमिकता नहीं हैं।

सबक दर सबक सिखाती फिल्म

फिल्म ‘इश्क विश्क रिबाउंड’ इसे बनाने वाली कंपनी टिप्स की कारोबारी प्राथमिकता है या नहीं, इसके बारे में तो तहकीकात जारी रहेगी, लेकिन इस फिल्म को बनाने का सबसे महत्वपूर्ण कारण नजर आता है वह है रोहित सराफ और निर्देशक निपुण धर्माधिकारी की वेब सीरीज ‘मिसमैच्ड’ से बनी दोस्ती। सबक नंबर दो, अगर डायरेक्टर के पास एक काबिल हीरो हो, एक अच्छी सी दिखने वाली कहानी हो तो फिल्म बनाने को कौन मना करेगा? ऊपर से निर्देशक अगर प्रोड्यूसर के कहने पर एक नई हीरोइन लॉन्च करने को तैयार हो जाए, तो मामला सेट हो ही जाता है। दो हीरो, एक हीरोइन की इस प्रेम त्रिकोण जैसी कहानी में अगर आंखें बंदकर महसूस करें तो एक बहुत प्यारी सी दोस्ती, रिश्तों और मोहब्बत की कहानी है। इसकी पटकथा को इसके चार क्रुक्स, सॉरी चार कुक्स ने खराब न किया होता ये फिल्म कमाल की बनती। सबक नंबर तीन, बहुत सारे कुक्स मिलकर एक डिश ही नहीं बल्कि एक फिल्म भी खराब कर सकते हैं।

क्या लड़का और लड़की दोस्त नहीं हो सकते?

फिल्म के निर्माताओं रमेश तौरानी और जया तौरानी का इस फिल्म को बनाने के लिए सहमत होना ही नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त है। रोहित, जिब्रान और पश्मीना ने अपना काम भी अत्यधिक कुशलता से किया है। जिब्रान ने बाल कलाकार के रूप में पहले भी बहुत समय फिल्म कैमरे के सामने बिताया है और उनका बड़े होकर इस तरह के प्रमुख भूमिका में आना उन्हें पहचानने वालों के लिए सुखद अनुभव है। रोहित को हिंदी के सामान्य दर्शक उतना नहीं जानते जितना विशिष्ट फिल्में और महंगी वेब सीरीज देखने वाले जानते हैं। फिल्म ‘इश्क विश्क रिबाउंड’ भी समृद्ध परिवारों की आंतरिक संघर्ष की प्रेम कहानी है। यह एक अच्छा अवसर था हिंदी सिनेमा के दर्शकों के सामने यह परखने का कि इक्कीसवीं सदी की प्रेम कहानियों में क्या अब भी एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते। क्या अब भी मौका मिलते ही दोनों को एक-दूसरे को ‘चुंबन’ कर लेना ही नियति है?

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Ishq Vishk Rebound Review
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चौराहे पर फूटी चार लेखकों की हांडी

फिल्म ‘इश्क विश्क रिबाउंड’ की पटकथा ही इसकी मुख्य बाधा है। इसके चारों लेखकों ने मिलकर इसे इतना विभिन्न दिशाओं में खींचा है कि बाद में पैबंद लगाने पर भी इसकी संरचना ठीक से स्थापित नहीं हो पाती है। ठीक ठाक चलती फिल्म में चौथी दीवार से बात करने का प्रयोग जिसका भी विचार रहा हो, इस तरह की फिल्मों में काम नहीं करता है। दोस्त के पिता से मुक्का खाने के ठीक पहले कौन यूं दर्शकों से बात करता है? बेतुका! फिल्म के संवाद भी बहुत साधारण हैं। पूरी फिल्म सिर्फ अपनी लिखावट के कारण बोझिल हो जाती है और हाल के दिनों की सबसे छोटी अवधि की फिल्म होने के बावजूद मध्यांतर के बाद उबाऊ लगने लगती है। सबक नंबर चार, कहानी सरल और स्पष्ट हो तो उसे अनावश्यक रूप से जटिल करने की आवश्यकता नहीं है।

रोहित और पश्मीना को पासिंग ग्रेड

रोहित सराफ ने फिल्म को बचाने की पूरी कोशिश की है। भले ही वह अगला दरवाजा वाला लड़का न हो, लेकिन बहुत प्यारा दिखते हैं। पश्मीना रोशन के लिए यह फिल्म एक ऐसा मंच है जहां से वह अपनी गति चुन सकती हैं। उनके अभिनय में ताजगी है और थोड़ी और ट्रेनिंग के साथ वह उन सभी ‘स्टार किड्स’ से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं, जिनका समर्थन मुंबई की प्रमुख प्रतिभा एजेंसियां करती हैं। सबक नंबर पांच, चाहे निर्देशक कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो, अगर उसे स्वतंत्रता नहीं मिली तो मामला सेट करना काफी कठिन हो जाता है।

निपुण के लिए हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा सबक

सुप्रिया पिलगांवकर और शीबा चड्ढा जैसी प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों को इस फिल्म में शामिल करना निर्देशक निपुण की कुशलता का एक और उदाहरण है। नेशनल फिल्म अवॉर्ड विजेता निपुण धर्माधिकारी के कहानी कहने का एक अनूठा तरीका है। लेकिन हिंदी फिल्मों के निर्माता उन्हें कितनी स्वतंत्रता देते हैं, यह उनके भविष्य के मार्ग को निर्धारित करेगा। मोड़ चुनौतीपूर्ण है। उन्हें एकदम बाल पिन मोड़ जैसे रास्ते से गुजरना है। हिंदी में संवाद करते हुए जब अचानक से पंजाबी में रोमांटिक हो जाते हैं तो ठेठ हिंदी पट्टी के दर्शकों की तरह मुझे भी सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि आखिर यह क्या हो रहा है? क्या अब भी कनाडा और पंजाब से ही हिंदी फिल्म संगीत उद्योग की सबसे ज्यादा कमाई हो रही है? या केवल टिप्स और टी-सीरीज जैसी कंपनियों का भ्रम है, क्योंकि बीते साल यूट्यूब पर सबसे ज्यादा देखे गए गानों के आंकड़े तो कुछ और ही बताते हैं।

Movie Review:-इश्क विश्क रिबाउंड
कलाकार:-रोहित सराफ , पश्मीना रोशन , जिब्रान खान , नायला ग्रेवाल , सुप्रिया पिलगांवकर , आकर्ष खुराना ,
कुशा कपिला , शीबा चड्ढा और शताफ फिगार आदि
लेखक:-वैशाली नायक , विनय छावल , केतन पडगांवकर और आकर्ष खुराना
निर्देशक:-निपुण अविनाश धर्माधिकारी
निर्माता:-रमेश तौरानी, जया तौरानी
रिलीज:-21 जून 2024
रेटिंग:-2.5/5
Movie Trailer:-link

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