Blackout Movie Review: विक्रांत मैसी ने ’12वीं फेल’ की सफलता को ‘ब्लैकआउट’ में गंवाया, मौनी रॉय और छाया कदम भी प्रभाव नहीं डाल सकीं.
जब कोई फिल्म शुरू होती है और उसके पात्रों के बारे में बताने की जिम्मेदारी अनिल कपूर लेते हैं, तो फिल्म देखने की उत्सुकता बढ़ना स्वाभाविक है। और अगर उनकी आवाज में रैप जैसा गाना हो, तो यह सोने पर सुहागा है। लेकिन, पिछले साल अप्रैल में सेंसर बोर्ड से पास हुई फिल्म ‘ब्लैकआउट‘ सिर्फ एक धोखा है। यह फिल्म न केवल विक्रांत मैसी की ‘12वीं फेल‘ में मिली सफलता को धूमिल करती है, बल्कि ‘डेढ़ बीघा जमीन‘ के बाद जियो सिनेमा पर रिलीज हुई एक और निराशाजनक फिल्म है, जिसे देखकर यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि आखिर इसका सब्सक्रिप्शन क्यों लिया?
जासूसी उपन्यास जैसी कहानी का भ्रम
भेस बदलकर स्टिंग ऑपरेशन करने वाला एक युवा पत्रकार, पूरे शहर की बिजली का गुल हो जाना, ज्वेलरी की दुकान में बड़ी डकैती, डकैतों की वाहन दुर्घटना, पत्रकार के हाथ लगे तिजोरी से निकले हीरे जवाहरात, एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी और एक शराबी जो ब्लैकमेलर भी है। सुनने में कहानी सुरेंद्र मोहन पाठक या वेद प्रकाश शर्मा के लोकप्रिय उपन्यास जैसी लगती है, लेकिन इस कहानी में बहुत सारे छेद हैं। कहानी में इतनी खामियां हैं कि दो घंटे दो मिनट की फिल्म देखना किसी चुनौती से कम नहीं है। निर्देशक देवांग भावसार की जिस कहानी को जियो स्टूडियोज ने सुनकर फिल्म बनाने का निर्णय लिया, स्पष्ट है कि फिल्म बनने के बाद वह उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।
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Blackout Movie: 15 महीने से अटकी पड़ी फिल्म
विक्रांत मैसी की अदाकारी अक्सर सवालों के घेरे में रही है। लेकिन, फिल्म ’12वीं फेल’ में उन्होंने पहली बार बड़े परदे पर अपनी अदाकारी का जलवा दिखाया। फिर भी, इस फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज नहीं किया जा सका। इसे बनाने वाली कंपनी जियो स्टूडियोज की मजबूरी यह थी कि एक साल से अधिक इंतजार के बाद इसे अपने ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करना पड़ा। फिल्म के शुरू में दिखाई देने वाले सेंसर सर्टिफिकेट पर इसके सेंसर से पास होने की तारीख 19 अप्रैल 2023 लिखी है। सोचिए, इतने लंबे समय से यह फिल्म अपनी रिलीज का इंतजार क्यों कर रही थी?
सुनील ग्रोवर के आते ही फिल्म पटरी से उतरी
अगर आप कारण जानने के लिए यह फिल्म देखने बैठ गए तो आप अपने दो बेशकीमती घंटे बर्बाद करने के बाद खुद को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पाएंगे। सुनील ग्रोवर फिल्म के शुरुआती आधे घंटे में ही यह स्पष्ट कर देते हैं कि आगे फिल्म देखना दर्शक के अपने विवेक पर निर्भर है। सुनील ग्रोवर का किरदार इस फिल्म को पटरी से उतारने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। उनका रिरियाकर बोलना ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ को भी इस बार खास मदद नहीं कर पाया और यह भी नहीं लगता कि उनके पास अभिनय का कोई दूसरा रंग है।
देवांग और दलाल बंधुओं की अव्यवस्था
फिल्म ‘ब्लैकआउट‘ की पूरी कल्पना देवांग भावसार की है। वह निर्देशक कूकी गुलाटी के सहायक रह चुके हैं और विवेक ओबेराय की फिल्म ‘प्रिंस’ उनकी निर्देशन की पाठशाला रही है। इस बार उनके सहयोगी हैं अब्बास दलाल और हुसैन दलाल। दोनों दलाल बंधु कितने मूडी लेखक हो सकते हैं, यह ‘ब्लैकआउट’ देखकर समझा जा सकता है। अगर वह लिखने बैठें तो ‘बंबई मेरी जान’ जैसी शानदार कहानी भी लिख सकते हैं और अगर बस नाम के लिए लिखना हो तो ‘ब्लैकआउट’ जैसा कुछ भी। फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसकी कहानी, पटकथा और संवाद ही हैं। दूसरे नंबर पर है इसका सुस्त निर्देशन। यह समझ में नहीं आता कि फिल्म कहां से शुरू होती है और कहां जा रही है।
बड़े सितारों का फीका प्रदर्शन
कहने को ‘ब्लैकआउट’ में इतने सितारे हैं कि इसे मल्टीस्टारर फिल्म माना जा सकता है। लेकिन सुनील ग्रोवर ने जैसे फिल्म की शुरुआत में इसे पंक्चर किया है, वैसे ही आगे आने वाले सितारे भी करते रहते हैं। अनंत विजय जोशी और छाया कदम जैसे कलाकारों के बावजूद फिल्म को आखिर तक देखना किसी मैराथन को पूरा करने जैसा है। ‘बड़े मियां छोटे मियां’ के बाद संगीतकार विशाल मिश्रा ने यहां फिर निराश किया है। मनोहर वर्मा के एक्शन सीन्स उत्साह नहीं जगाते और जॉन स्टुअर्ट इडुरी के होते हुए भी फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के सुर से मेल नहीं खाता। बहुत खाली समय हो तो ही इस फिल्म को देखना शुरू करें, अन्यथा यह फिल्म आपका वीकएंड खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
Movie Review:-ब्लैकआउट
कलाकार:-विक्रांत मैसी , मौनी रॉय , सुनील ग्रोवर , जिशू सेनगुप्ता , रुहानी शर्मा , अनंत विजय जोशी , छाया कदम और
प्रसाद ओक
लेखक:-देवांग भावसार , अब्बास दलाल और हुसैन दलाल
निर्देशक:-देवांग भावसार
निर्माता:-ज्योति देशपांडे और नीरज कोठारी
रिलीज:-7 जून 2023
ओटीटी:-जियो सिनेमा
रेटिंग:-1.5/5
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