Sarfira Review: अक्षय का दमदार कमबैक, एक असंभव सपने की प्रेरणादायक कहानी

क्या है Sarfiraकी कहानी ?

महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके में एक शिक्षक का बेटा, वीर जनार्दन म्हात्रे (अक्षय कुमार), सस्ती एयरलाइंस शुरू करने की चाहत में एयरफोर्स की नौकरी छोड़ देता है। अब तक 24 बैंकों ने उसे कर्ज देने से मना कर दिया है। वह अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर इस सपने को साकार करने की कोशिश कर रहा है।

Sarfira Review
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वीर का प्रेरणा स्रोत

वीर का आदर्श जैज एयरलाइंस के मालिक परेश गोस्वामी (परेश रावल) हैं, जो विमानन उद्योग में अपनी धाक जमाए हुए हैं। वीर चाहता है कि परेश उसके विचार में निवेश करें। परेश को यह मंजूर नहीं कि हवाई यात्रा आम लोगों की पहुंच में आए और वर्ग विभाजन समाप्त हो। हताश वीर को प्रकाश बाबू (प्रकाश बेलवाड़ी) में उम्मीद की किरण दिखती है, जो उसके विचार में निवेश करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

धोखा और संघर्ष

बाद में पता चलता है कि प्रकाश बाबू, परेश के आदमी हैं, जिन्होंने वीर के सपनों को चकनाचूर कर दिया। इन मुश्किल हालातों में वीर की पत्नी रानी (राधिका मदान) उसका सहारा बनती है। रानी के भी अपने सपने हैं और वह सिर्फ घरेलू महिला बनकर नहीं रहना चाहती।

कैसी है फिल्म

कोंगरा की कहानी को देखकर आप खुद ताली बजाएंगे और इमोशनल हो जाएंगे। फिल्म में वीर की यात्रा को हाईलाइट किया गया है। पूजा तोलानी के संवाद बहुत खास नहीं हैं, लेकिन फिर भी आपको थोड़ा इमोशनल कर देंगे। कुछ ह्यूमर भी आपको हंसाएगा। कोंगरा और शालिनी ऊषा देवी का स्क्रीनप्ले थोड़ा जटिल हो जाता है, खासकर जब अलग-अलग समय-रेखाओं में स्विच करता है।

फिल्म का दूसरा भाग

फिल्म का दूसरा भाग थोड़ा लंबा हो जाता है, लेकिन इसकी कहानी, कट्स और एडिटिंग की वजह से आप फिल्म से जुड़े रहेंगे। अगर इन चीजों को नजरअंदाज करें तो फिल्म की कहानी काफी अच्छी है। आखिर में आप वीर की उपलब्धियों को देखकर खुश और गर्व महसूस करेंगे। यह एक परफेक्ट फैमिली फिल्म है, और अंत में आपको एक सरप्राइज भी मिलेगा।

फिल्म की उत्कृष्टता

यह एक शानदार फिल्म है, शुरुआत से ही यह आपको बांधे रखती है। एक के बाद एक ट्विस्ट और टर्न आते हैं। जैसे ही आपको लगता है कि सब ठीक हो गया, एक नया ट्विस्ट आता है। अक्षय के परिवार के साथ वाले सीन बहुत इमोशनल हैं। यह फिल्म आपको लगातार चौंकाती, रुलाती और मनोरंजन करती है। फिल्म में एक भी ऐसा मौका नहीं आता जब आप बोर हों या फोन देखें। यह फिल्म आम आदमी की ताकत को दिखाती है और अगर आपको जिंदगी में मोटिवेशन चाहिए तो यह फिल्म देती है। यह एक साफ-सुथरी फिल्म है जिसे पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है।

निर्देशन

सुधा कोंगरा ने फिल्म को डायरेक्ट किया है। सुधा ने ही ओरिजनल फिल्म बनाई थी। उन्होंने फिल्म को किसी सेट पर नहीं, बल्कि रियल लोकेशन पर शूट किया। फिल्म पर उनकी पकड़ कमाल की है, रीमेक को उन्होंने एक नए तरीके से प्रस्तुत किया है और बेहतरीन ढंग से बनाया है।

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