मनोज बाजपेयी की ‘भैया जी’: खोई जगह वापस पाने की कोशिश

मनोज बाजपेयी फिल्म ‘भैया जी’ में बड़े पर्दे पर अपनी खोई हुई जगह वापस पाने की कोशिश करते दिख रहे हैं। इस फिल्म में वह निर्माता भी हैं और शूटिंग के दौरान मिली खबरों के अनुसार, उन्होंने इसे एक तरह से निर्देशित भी किया है। मनोज बाजपेयी दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके हैं। यह दावा किया गया है कि यह उनकी 100वीं फिल्म है, लेकिन 30 साल पहले आई ‘बैंडिट क्वीन’ से गिनती करें तो उनकी फीचर फिल्मों की संख्या अब तक 80 ही पहुंचती है। फिल्म का परिचय ‘ए क्रिएशन बाय मनोज बाजपेयी’ के रूप में इसके टीजर में दिखाया गया था। मनोज इससे पहले लेखक दीपक किंगरानी और निर्देशक अपूर्व सिंह कार्की के साथ ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ में भी नजर आए थे, लेकिन कभी-कभी सिर्फ एक बंदा किसी जंग को जीतने के लिए काफी नहीं होता।

जिया हो बिहार के लाला पार्ट 2

फिल्म ‘भैया जी’ की कहानी बिहार से शुरू होती है। राम चरण दुबे, जिन्हें भैया जी कहा जाता है, एक स्कूल मास्टर के बेटे हैं। भैया जी की शादी हो रही है, और उनकी उम्र को लेकर लोग मजाक करते हैं। शादी के दौरान ‘मैं आई हूं यूपी बिहार लूटने’ जैसा एक गाना भी होता है। इस बीच, भैया जी का अपने दिल्ली में पढ़ रहे भाई से फोन पर संपर्क टूट जाता है। अगले दिन, दिल्ली के कमला नगर थाने से फोन आता है। भैया जी अपने दो साथियों के साथ दिल्ली पहुंचते हैं, लेकिन तब तक उनके भाई का शरीर श्मशान में राख बन चुका होता है।

पता चलता है कि उनका भाई दुर्घटना में नहीं मरा, बल्कि उसे मारा गया है। कहानी का खलनायक हरियाणवी है, और उसकी पहचान ‘तुम’ को ‘तम’ बोलने से होती है। वह एक आम क्राइम पेट्रोल जैसा खलनायक है, जिसका बेटा बिगड़ा हुआ है और बाप उसे बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है। एक चम्पू टाइप सियासी पार्टी है, जिसके लिए वह इतना नकद चंदा देता है कि इसे एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए ट्रकों और रेलगाड़ी की जरूरत पड़ती है। भैया जी को क्या करना है, यह दर्शकों को फिल्म के पहले 15 मिनट में ही पता चल जाता है, लेकिन समस्या यह है कि कहानी आखिर तक वहीं अटकी रहती है।

शाहरुख खान बनना इतना आसान नहीं है

फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में अनुराग कश्यप ने कहा था कि हिंदुस्तान में जब तक सिनेमा है, तब तक क्या होता रहेगा। मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘भैया जी’ में यह बात फिर से सच होती दिखती है। भैया जी का किरदार एक तरह से सरदार खान का नया अवतार है। लेकिन इन 12 सालों में मनोज बाजपेयी की उम्र बढ़ चुकी है और यह परदे पर नजर आता है।

24 साल पहले हंसल मेहता की फिल्म ‘दिल पे मत ले यार’ में मनोज को एक रोमांटिक हीरो के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई थी, लेकिन शाहरुख खान की तरह बनने की कोशिश मनोज के लिए सही नहीं थी। अब, फिल्म ‘भैया जी’ में उन्होंने वही गलती दोहराई है। आजकल शाहरुख खान एक्शन फिल्में कर रहे हैं, और मनोज ने भी फिल्म ‘भैया जी’ में साउथ सिनेमा जैसा एक्शन करने की कोशिश की है।

लेकिन यह एक्शन उनकी कद काठी और उम्र पर जंचता नहीं है। अगर उन्हें एक्शन करना ही है, तो हॉलीवुड अभिनेता लियाम नीसन की तरह करना बेहतर होगा।

कहीं दिखा नहीं बाघ का करेजा जैसा अनुभव

फिल्म ‘भैया जी’ का पहला गाना ‘बाघ का करेजा’ रिलीज होते ही फिल्म की आधी ब्रांडिंग हो गई थी। फिल्म में जब भी भैया जी के बाघ जैसे दिल की बात आती है, वहां सिर्फ बातें ही होती हैं, कोई खास घटना नहीं दिखाई देती। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के गाने ‘जिया ओ बिहार के लाला’ जैसा अनुभव देने वाला यह गाना भोजपुरी गायक और अभिनेता मनोज तिवारी ने गाया है। फिल्म में उनकी आवाज में एक और भोजपुरी गाना भी है।

दोनों गाने फिल्म की शुरुआत में ही आ जाते हैं, जिससे ‘भैया जी’ एक मेगा बजट भोजपुरी फिल्म जैसी लगने लगती है। समस्या यह है कि बाकी फिल्म में भैया जी खड़ी बोली ही बोलते रहते हैं। मनोज तिवारी के अलावा, कल्पना पटवारी और मालिनी अवस्थी ने भी फिल्म के गीत संगीत में योगदान दिया है।

शाहरुख खान ने फिल्म ‘जवान’ में अनिरुद्ध रविचंदर को लाकर अपने फिल्म के गीत संगीत को आज के युवा दर्शकों से जोड़ने की कोशिश की और सफल रहे। लेकिन मनोज बाजपेयी ने 20 साल पहले का भोजपुरी संगीत अपनी फिल्म ‘भैया जी’ में लाकर इसे कतार में बहुत पीछे खड़ा कर दिया है।

रजनीकांत और अमिताभ बच्चन का मिश्रण

फिल्म ‘भैया जी’ मनोज बाजपेयी की अब तक की सबसे बड़ी रिलीज है। यह फिल्म छोटे शहरों के दर्शकों और भोजपुरी फिल्मों के दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हालांकि, यह दर्शक वर्ग मिलकर भी इतनी संख्या में नहीं है कि किसी औसत हिंदी फिल्म को हिट बना सके। मनोज बाजपेयी का अभिनय भी घिसे-पिटे किरदारों जैसा ही है। हां, उनके हाथों में पुखराज और नीलम की अंगूठियां बदलती रहती हैं, जो एक नया प्रयोग माना जा सकता है।

फिल्म में भैया जी कभी तहमद में तो कभी जैकेट और पैंट में दिखते हैं। उनका गेटअप रजनीकांत और एंग्री यंग मैन दौर के अमिताभ बच्चन का बेमेल मिश्रण लगता है।

कार्की के समर्पण के लिए याद रहेगी फिल्म

फिल्म ‘भैया जी’ की सबसे कमजोर कड़ी इसके निर्देशक अपूर्व सिंह कार्की हैं। उन्होंने पूरी फिल्म की बागडोर मनोज बाजपेयी के हाथों में दे दी, जो उनके करियर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। एक निर्देशक का फिल्म के हीरो के सामने इतना झुक जाना फिल्म को नुकसान पहुंचा सकता है, और ‘भैया जी’ इसका अच्छा उदाहरण है।

पिछली फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ अगर बेहतरीन फिल्म है, तो यह नई फिल्म ‘भैया जी’ समय के साथ भुला दी जाएगी। सुविंदर विकी और जतिन गोस्वामी पूरी फिल्म में बी ग्रेड फिल्मों के विलेन जैसे नजर आते हैं। सुविंदर को हिंदी सिनेमा में अपनी जगह बनाने का इससे बड़ा मौका शायद ही मिले। फिल्म की कास्टिंग भी इसकी एक बड़ी कमजोरी है।

Movie Review: भैया जी
कलाकार: मनोज बाजपेयी , सुविंदर विकी , जतिन गोस्वामी , विपिन शर्मा , जोया हुसैन , भगीरथ बाई , अमरेंद्र शर्मा और रमा शर्मा आदि
लेखक: दीपक किंगरानी और अपूर्व सिंह कार्की
निर्देशक: अपूर्व सिंह कार्की
निर्माता: शैल ओसवाल और शबाना रजा बाजपेयी आदि
रिलीज: 24 मई 2024
रेटिंग: 3/5
ट्रेलर: भैया जी

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