स्कूटी पर दर्ज नंबर से आरटीओ ऑफिस और उसके जिले का पता न भी चले, फिर भी टीवीएफ की सीरीज ‘Gullak‘ की कहानी उत्तर भारत के किसी छोटे शहर की प्रतीत होती है। टेढ़े-मेढ़े रास्ते, टूटी-फूटी गलियां, मकड़ी के जाले जैसे बिजली के तार, छतों पर रखे अचार और मुरब्बा, और बिना दरवाजों के जीने से जुड़ा पड़ोस – ‘गुल्लक’ की असली पूंजी यही है। इस पूंजी को समेटते हुए मिश्रा परिवार चौथे सीजन तक पहुंच गया है। फिल्म ‘श्रीकांत’ में ए पी जे अब्दुल कलाम के किरदार में वाहवाही बटोरने वाले जमील खान फिर से ईमानदार बिजली कर्मचारी की भूमिका में हैं। इस बार उनका चिकन और शराब छोड़ने का समय है, क्योंकि बच्चे बड़े हो रहे हैं।
Gullak: सुनती हो, बच्चे बड़े हो रहे हैं…
जी हां, बच्चे बड़े हो रहे हैं। यह वाक्य हर मध्यमवर्गीय परिवार में आम है। लेकिन, कितने परिवार इसे सच में समझते हैं? और, कितने परिवारों के मुखिया इस वाक्य को समझकर खुद को थोड़ा और समझदार बनाने की कोशिश करते हैं? किताबों में छुपे प्रेम पत्र हर किशोरवय बच्चे के बैग में मोबाइल के दौर में भी मिल ही जाते हैं। प्रेम की यह सबसे निष्कपट और सरल चाल होती है। जमाना इसे शतरंज की गोटी समझ लेता है और फिर कभी ढाई घर, कभी टेढ़ी चाल तो कभी हाथी सा रास्ता बनाते लोग घरों में मतभेद कराते रहते हैं। लेकिन, इस उधेड़बुन के फंदे जब उलझते हैं और दिल बैठा सा लगता है तो कोई पड़ोसी ही आकर आपकी रसोई में आपके लिए चाय बनाता है। यही वह एहसास है जो इस बात को साबित करता है कि भगवान आपके अच्छे पड़ोस में निवास करता है।
हाय राम, टीवीएफ का है दौर: Gullak
इन दिनों टीवीएफ का समय है। प्राइम वीडियो पर ‘पंचायत‘ का तीसरा सीजन पंचायत छोड़ बाकी सब कुछ कर रहा है। सचिव जी प्रशासनिक काम छोड़ राजनीति में उलझ गए हैं, जिससे मामला जमा नहीं है। ‘कोटा फैक्ट्री‘ का नया सीजन भी इसी महीने आने वाला है और इन दोनों के बीच फंसी है ‘Gullak‘। फंसी इसलिए nक्योंकि सबसे ज्यादा उम्मीदें इसी धारावाहिक से होती हैं। पहला सीजन जो इस सीरीज का महक था, उसकी बासमती चावल के पुलाव सी महक अब भी लोग नहीं भूले हैं और जो उस महक को पिछले दो सीजनों में ढूंढते रहे हैं, उनके लिए अच्छी खबर है कि श्रेयांश पांडे और विदित त्रिपाठी की टीम ने इसे फिर से ढूंढ निकाला है।
पंचायत सीजन 3: उम्मीदों पर खरा या फीका?
यही है सही चुनाव, बेबी! अहा..!!
विदित त्रिपाठी की लिखी इस सीरीज पर श्रेयांश पांडे ने टीवीएफ के डीएनए का असली रंग चढ़ाया है। यही टीवीएफ की असली पहचान भी है। वैभव राज गुप्ता सीरीज के हीरो हैं। इस बार उन्हें हीरोइन भी मिलती दिख रही है। कहानी में एक विलेन भी है, जो डॉक्टर प्रीति को आनंद का नाम कूलर वाले मिश्रा के नाम से ‘सेव’ करने को कहता है। लेकिन अन्नू भैया की ‘विधाता’ जैसी बन रही इस पिक्चर के दिलीप कुमार हैं जमील खान। उनकी अदाकारी पर सबका दिल फिदा रहता है। गीतांजलि कुलकर्णी जैसी मां हर कोई चाहता है, जो ऊपर से कड़क और अंदर से आइसक्रीम की ठंडक सा आशीर्वाद देती है। नन्हकऊ अमन के किरदार में हर्ष मायर की मटरगश्ती इस बार अलग रंग में है। भाइयों का प्यार और आपसी समझदारी की मिसाल देखनी हो तो ये सीरीज तुरंत देख डालिए, क्योंकि ‘अब पापा सॉरी बोलेंगे तो अच्छा थोड़े ही लगेगा!’
Movie Review:-गुल्लक (सीजन 4)
कलाकार:-जमील खान , गीतांजलि कुलकर्णी , वैभव राज गुप्ता , हर्ष मायर , सुनीता राजवर , शिवांकित सिंह परिहार और
हेली शाह
लेखक:-श्रेयांश पांडे और विदित त्रिपाठी
निर्देशक:-श्रेयांश पांडे
निर्माता:-अरुणाभ कुमार
ओटीटी:-सोनी लिव
रिलीज:-7 जून 2024
रेटिंग:-4.5/5
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